![पत्नी किसी और के साथ रही तो भी कम नहीं होती पति की जिम्मेदारी](https://static.wixstatic.com/media/180b2a_f4aa931e440c4842a58e05a191100c08~mv2.jpg/v1/fill/w_162,h_101,al_c,q_80,usm_0.66_1.00_0.01,blur_2,enc_auto/180b2a_f4aa931e440c4842a58e05a191100c08~mv2.jpg)
कुटुम्ब न्यायालय ने भरण-पोषण के एक केस में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि पत्नी अगर कुछ दिन के लिए किसी और के साथ रहती है तो भी पति की जिम्मेदारी कम नहीं हो जाती है। उसे पत्नी को भरण-पोषण तो देना ही होगी।
जानकारी के अनुसार खजराना क्षेत्र निवासी उषा कटारिया ने पति ऋषि कटारिया के खिलाफ भरण-पोषण पाने के लिए केस दायर किया था। महिला का कहना था कि उनकी शादी फरवरी 1981 में हुई थी। उनके दो बच्चे भी हैं। करीब 12 साल पहले आपसी विवाद में पति ने घर से निकाल दिया। इसके बाद से वह बेटे के साथ अलग रह रही है। उनकी आय का कोई साधन नहीं है। इधर, पति ने कोर्ट में उषा को पत्नी मानने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि उषा मुस्लिम है और उसका असली नाम नरगिस है। उसने उसे कुछ दिन आसरा जरूर दिया था, लेकिन कभी शादी नहीं की। वह सिर्फ ब्लैकमेल करने के लिए भरण-पोषण मांग रही है। उसने अब तक धर्म परिवर्तन भी नहीं किया है, इसलिए उसे पत्नी माना ही नहीं जा सकता। पति ने यह भी कहा कि उषा ने 1985 में नूर मोहम्मद नामक व्यक्ति से निकाह कर लिया था। इसके समर्थन में उसने काजी इशरत अली के बयान भी कोर्ट में करवाए और निकाह के दस्तावेज प्रस्तुत किए।
पत्नी ने पेश किए पुराने प्रकरणों के दस्तावेज
उषा की तरफ से एडवोकेट कमलेश गौसर और सुनील पाटीदार ने तर्क रखा कि ऋषि की खजराना गणेश मंदिर के पास दुकान और पांच मकान हैं। इनसे उसे हर माह हजारों की कमाई होती है। उषा की तरफ से उन पुराने प्रकरणों के दस्तावेज प्रस्तुत किए गए जिनमें ऋषि ने उसे पत्नी स्वीकारा था। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद ऋषि कटियार को हरमाह पांच हजार रुपए भरण-पोषण के रूप में देने के आदेश दिए।
यह माना कोर्ट ने
इधर, कोर्ट ने यह भी माना कि उषा और ऋषि कटियार पति-पत्नी की तरह साथ रह रहे थे। बाद में उषा ने नूर मोहम्मद से निकाह कर लिया था, लेकिन वह कुछ दिन बाद ही वापस ऋषि के पास लौट आई थी। ऋषि के साथ पत्नी के रूप में रहने पर ही उनकी दो संतान भी हुई। पत्नी के कुछ दिन किसी और के साथ रहने से पति का दायित्व खत्म नहीं हो जाता।
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