प्रेस विज्ञप्ति: अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस
आज अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के अवसर पर दामन वेलफेयर ट्रस्ट ने रेव 3 मॉल में, पुरुषार्थ से समाज व विश्व को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले और लोगों को रोल मॉडल की तरह प्रेरणा देने वाले पुरुषों के सम्मान में, पुरुषों के जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले मुद्दों के विषय में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।
वर्तमान परिपेक्ष्य में जब महिलावादी सम्पूर्ण पुरुष समाज को ही नकारात्मक रूप में चित्रित कर रहे हैं और सरकारें भी भारतीय संविधान के केवल अनुच्छेद 15(3) को बल देकर तथा अनुच्छेद 14, 15(1) व 21 को नजरअंदाज कर मात्र लिंग विशेष की ओर ही अनुचित झुकाव रखती हैं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिससे पुरुषों के मानवाधिकारों पर विशिष्ट रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
हमारा तथाकथित पुरुष प्रधान समाज भी जितनी सहजता से यह मानता है कि पुरुषों के पास समस्त अधिकार, विशेषाधिकार और शक्तियां हैं, उतनी ही सहजता से पुरुषों के उन मुद्दों को ही नजरअंदाज कर देता है जिनका निराकरण अति आवश्यक है।
इसलिए, वर्तमान परिदृश्य में जहाँ पुरुषों के विरुद्ध समाज और कानूनों वे व्याप्त भेदभाव के कारण हर वर्ष औसतन 95,000 पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं, पुरुषों के भी- महिलाओं की अपेक्षा कम जीवन प्रत्याशा होना, महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की आत्महत्या दर करीब तीन गुना होना, स्कूल छोड़ने वाले बच्चों में लडकियों की अपेक्षा लड़कों का दोगुने से अधिक होना, प्रोस्टेट कैंसर में विषय में जागरूकता न होना, कार्यस्थल पर होने वाली मृत्युओं में अधिकाँश पुरुषों का ही होना, पुरुषों का सर्वाधिक बेघर होना, वरिष्ठ नागरिकों के मुद्दे, पुरुषों की मानसिक सेहत, पुरुषों के लिए कोई बजटीय प्रावधान न होना, पितृत्व धोखाधड़ी से पुरुषों का ही प्रभावित हिना, छोटे लड़कों के जननांग विक्रीत करना, युद्ध में अधिकाँश पुरुषों की ही मृत्यु होना, एक बार महिला के गर्भवती होने के उपरान्त बच्चे को जन्म देने अथवा न देने में पुरुष के पास कोई न्यायिक विकल्प न होना, लैंगिक आधार पर प्रावधानों व कानूनों में भेदभाव होना, घरेलू हिंसा, उत्पीड़न और यौन शोषण के शिकार पुरुषों के लिए कोई कानूनी प्रावधान अथवा मंच न होना, पुरुषो के विरुद्ध घरेलू हिंसा, उत्पीड़न और यौन शोषण के झूठे मामले होना, चाइल्ड कस्टडी / चाइल्ड सपोर्ट के मामलों में घोर असमानता होना, पूर्वाग्रह से ग्रसित आपराधिक न्यायालय और लैंगिक आधार पर दंड में असमानता होना, जैसे मुद्दों को सम्मिलित करते हुए असीमित समस्याओं के निराकरण के लिए पुरुष आयोग का गठन होना अति आवश्यक है।
कार्यक्रम समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों के अतिरिक्त निम्न सभी लोग उपस्थित रहे:
अनुपम दुबे, मनीष श्रीवास्तव, धीरज राजपाल, अजय चक्रवर्ती, सतीश दीक्षित आदि
Comments