सेवा में,
श्री अरविन्द केजरीवाल,
मुख्यमंत्री,
दिल्ली
श्रीमान जी,
कुछ दिन पूर्व ही समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया के माध्यम से मेट्रो एवं बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा संबंधी समाचार ज्ञात हुआ जो खूब चर्चित भी है, इसी संबंध में हम दामन की तरफ से आपका ध्यान निम्न बातों की तरफ आकर्षित करना चाहते है।
संविधान किसी भी रूप में किसी भी व्यक्ति को लिंग के आधार पर भेदभाव करने का अधिकार नहीं देता तथा हम ऐसे किसी भी प्रावधान को, जो एक व्यक्ति को मात्र महिला होने भर से ही सार्वजनिक संपत्ति का इस्तेमाल मुफ्त में करने का अधिकार दे, पुरुषों के प्रति दुर्भावना एवं भेदभाव पूर्ण मानते हैं।
महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित एक सर्वेक्षण के अनुसार लडकियों की तुलना में लड़के ज्यादा शारीरिक शोषण का शिकार होते हैं, इन परिस्थितियों में यह मानना की महिलाएं ही पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा असुरक्षित हैं, पुरुषों के प्रति दुर्भावना एवं भेदभाव पूर्ण है।
सुरक्षा एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार मेट्रो में महिला जेबकतरों की संख्या पुरुषों की अपेक्षा कहीं अधिक है, ऐसे में तो यही सर्वथा प्रतीत होता है कि मेट्रो में पुरुष ही महिलाओं की अपेक्षा अधिक असुरक्षित है।
जब कभी भी किसी वर्ग विशेष को निशुल्क यात्रा की सुविधा दी जाती है तब इसका तात्पर्य यही होता है कि उस वर्ग विशेष का शुल्क दूसरे वर्ग से वसूल किया जाएगा, इसका रूप यद्यपि किराया बढ़ाने अथवा सब्सिडी देने जैसे किसी भी रूप में हो सकता है; यह पुरुषों के प्रति दुर्भावना एवं भेदभाव पूर्ण है।
अधिकांश महिलाएं आज के समय में नौकरीपेशा है और वो अपने पुरुष सहकर्मी के बराबर कमाती हैं, ऐसे में मात्र महिलाओँ को विशेष रियायत के तहत कोई भी सेवा लैंगिक आधार पर उन्हें मुफ्त देना न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता है।
पुरुष एवम महिला दोनो किसी परिवार से संबंधित है, अर्थात जिस परिवार की महिला गरीब है तो उस परिवार का पुरुष भी उतना ही गरीब है और ऐसे में मात्र महिला को विशेष रियायत देना तथा पुरुष की समस्या की अनदेखी करना उस पुरुष के प्रति दुर्भावना एवं भेदभाव पूर्ण है।
मात्र महिलाओं को ही मुफ्त यात्रा की सुविधा देने की अपेक्षा अगर आप लैंगिक भेदभाव रहित ‘निम्न आय’ वर्ग के सभी व्यक्तियों को मुफ्त यात्रा की सुविधा देते तो उसे सामाजिक न्याय माना जा सकता था, परंतु आपकी नीति 100 रुपये प्रति दिन की दिहाड़ी कमाने वाले पुरुष पर अतिरिक्त बोझ डालने वाली है, जबकि 1000 रुपये हर रोज़ कमाने वाली महिला को मुफ्त यात्रा की सुविधा देती है, जो कि सामाजिक न्याय नहीं बल्कि पुरुष वर्ग के प्रति आप की दुर्भावना पूर्ण नीति को प्रकट करता है।
दिल्ली सरकार की वर्तमान नीति न केवन आर्थिक रूप से देश के हित के विरुद्ध है बल्कि यह नीति पुरुष वर्ग के विरुद्ध सरकार की दुर्भवनाओ को भी उजागर करती है, तथा यह पुरुषों के मौलिक अधिकारों का भी हनन करती है। हम, दामन परिवार कि ओर से दिल्ली सरकार की इस नीति की आलोचना करते हैं तथा मांग करते हैं कि पुरुषों के विरुद्ध अनावश्यक पूर्वाग्रह त्याग कर कोई लैंगिक भेदभाव रहित योजना निर्धारित करें जिससे समाज में सकारात्मक संदेश का ही प्रवाह हो।
आपका शुभेच्छु
गुरशरन सिंह
(सदस्य)
दिनांक: 10/06/2019